Sunday, February 21, 2010

मैंने प्यार किया :)

हम तुमसे प्यार करते हैं,पर दुनिया से डरते हैं,
कोई तुम्हारी पहचान मांगें तो झूठ कहते हैं
जानते हैं तुम नहीं चाहते हमें,फिर भी इन्तेजार करते हैं,
एक दिन ना जाने हुआ क्या,जो तुमने कहा की हम तुम्हे पसंद हैं
तुम्हारे लब्जों ने मुझे सातें जन्नत में पंहुचा दिया
फिर देखी मैंने अपनी दुनिया जिसमे सिर्फ मैं और मेरा पिया
पर शायद खुदा को हमारा मंजूर नहीं था,जो तुमने कहा की मैं नहीं हूँ तुम्हारी जिया
कहाँ आसमान में ले जाकर जमीन पर पटक दिया
शायद मुझसे कोई भूल हुई या क्या बात हुई,तुमने कभी नहीं उत्तर दिया
माथा अपना मारा मैंने क्यूंकि तुम्हारी पसंद को तुम्हारा प्यार समझ लिया
आँखों के सागर में डूबे हमने सोचा की पहले क्यूँ नहीं दिमाग इस्तेमाल किया
पर दिल ने एक ही जवाब दिया मैंने प्यार किया,सिर्फ और सिर्फ प्यार किया

5 comments:

Abhishek said...

sad :(

no updated from long time..bz in b-school?

Shruti said...

yeah..mostly my thoughts goes uncompleted :( I didnt even got to knw that you commented on this poem :(

NK said...

a de facto poet i see :D
i cn only encourage u to write more

dipankar said...

simple, just like love :)

Thє SτσIc said...

there was a poignant feel to the write . at times the rhyme scheme did add a touch of slight humour too. good one !